महाभारत काल के पांच श्राप जिन्हें आज भी झेल रहे है लोग

महाभारत काल के पांच श्राप जिन्हें आज भी झेल रहे है लोग

मित्रों हिंदू धर्म में पुण्य पाप और श्राप जैसी बहुत सी बातों पर लोग भरोसा करते हैं। कई धार्मिक शास्त्र और ग्रंथों में श्राप को लेकर बहुत सी बातें लिखी भी हैं। लेकिन क्या आपको यह पता है कि महाभारत काल के पांच श्राप जो आज भी लोग भुगत रहे हैं।

अब वह कौन से हैं। आइए जानते हैं। महाभारत से जुड़े बहुत से तथ्य ऐसे हैं। जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं। वैसे तो द्वापरयुग में कई सैकड़ों श्राप और वरदान मिल जाएंगे लेकिन पांच श्राप ऐसे भी हैं। जिनका असर आज कलयुग में लोग भुगत रहे हैं।

महाभारत काल के पांच श्राप कौन-कौन से हैं

1. भगवान श्री कृष्ण ने अश्वथामा को किस कारण और कैसे श्राप दिया?
2. राजा परीक्षित को श्राप किसने दिया?
3. युधिष्ठिर ने समस्त नारी जाति को कौन सा श्राप दिया था?
4. यमराज को माण्डव्य ऋषि ने क्या श्राप दिया था?
5. उर्वशी ने अर्जुन को क्या श्राप दिया था?

भगवान श्री कृष्ण ने अश्वथामा को किस कारण और कैसे श्राप दिया

भगवान श्री कृष्ण ने अश्वथामा को किस कारण और कैसे श्राप दिया?

भगवान श्री कृष्ण ने अश्वथामा को दिया था श्राप, मित्रों बता दें महाभारत के युद्ध के आखिरी दिन अश्वथामा ने पांडवों के बेटों को धोखे से मार दिया था कुंती पुत्र अर्जुन उनका पीछा करते हुए महर्षि वेदव्यास के आश्रम पहुंचे तभी अश्वथामा ने अर्जुन पर ब्रह्मास्त्र चला दिया।

जिसके बाद अर्जुन ने भी अश्वथामा पर ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया लेकिन महर्षि व्यास ने बीच में ही दोनों अस्त्रों को टकराने से रोक लिया और दोनों से गुस्से में कहा कि क्या तुम लोग यह नहीं जानते कि ब्रह्मास्त्र के आपस में टकराने से पूरी दुनिया का नाश हो जाएगा।

इसलिए तुम दोनों अपने-अपने ब्रह्मास्त्र वापस ले लो तब अर्जुन ने अपना ब्रह्मास्त्र तो वापस ले लिया लेकिन अश्वथामा ने बताया कि उनके पिताजी ने उन्हें वापस लेने की विद्या नहीं सिखाई है फिर व अश्वत थामा ने ब्रह्मास्त्र की दिशा बदलकर अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ की तरफ कर दी।

जिसके बाद गुस्से में भगवान श्री कृष्ण ने अश्वथामा को श्राप दिया कि तुम 3000 सालों तक इस धरती पर भटकते रहोगे इसके साथ ही तुम्हारे शरीर से पीब और लहू की गंध निकलेगी इसलिए तुम इंसानों के बीच नहीं रह सकोगे तुम बस दुर्गम वन में ही पड़े रहोगे यही वजह है कि आज भी यह माना जाता है कि अश्व धामा अभी भी जिंदा है

राजा परीक्षित को श्राप किसने दिया?

ऋषि श्रंग ने राजा परीक्षित को दिया था श्राप, पौराणिक कथा की माने तो पांडवों और द्रौपदी के स्वर्ग की तरफ प्रस्थान करने के बाद सारा राज्य अभिमन्यु के बेटे परीक्षित के हाथों में सौंप दिया गया था। हस्तिनापुर की सारी प्रजा परीक्षित के शासनकाल से काफी खुश थी लेकिन कहते हैं ना कि होनी को कौन ही टाल सकता है।

एक दिन राजा परीक्षित जंगल में आखेट करने गए थे तभी उन्हें वहां तपस्या में लीन ऋषि शमीक मिले उन्होंने मौन व्रत धारण कर रखा था लेकिन यह बात राजा परीक्षित को पता नहीं थी उन्होंने कई बार ऋषि शमीक को आवाज लगाई लेकिन उन्होंने अपना मौन व्रत नहीं तोड़ा यह देखकर राजा परीक्षित को गुस्सा आ गया और उन्होंने गुस्से में आकर ऋषि के गले में एक मरा हुआ सांप डाल दिया।

उधर जब यह बात ऋषि श्रमिक के बेटे यानी ऋषि श्रंग को पता चली तो फिर उन्होंने राजा परीक्षित को श्राप दिया कि आज से सात दिन बाद राजा परीक्षित की मौत तक छक नाग के डसने से हो जाएगी।

जिसके बाद ऋषि श रंगी के श्राप की वजह से मित्रों राजा परीक्षित की मौत तक्षक नाग के डसने की वजह से हुई थी ऐसा माना जाता है कि उसी के बाद कलयुग की शुरुआत हुई क्योंकि राजा परीक्षित के जिंदा रहते कलयुग में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह इंसानों पर हावी हो सके और आज हम सभी इस कलयुग को उसी श्राप की वजह से भोग रहे हैं।

युधिष्ठिर ने समस्त नारी जाति को कौन सा श्राप दिया था?

धर्मराज युधिष्ठिर ने सारी नारी जाति को दिया था श्राप, महाभारत के शांति पर्व की माने तो कर्ण की मौत के बाद जब देवी कुंती उसके शब के पास फूट-फूट के रो रही थी तब पांडवों को लगा कि उनकी मां उनके दुश्मन की मौत पर ऐसे क्यों रो रही है।

इसके बाद कुंती ने युधिष्ठिर को बताया कि कर्ण उनका बड़ा भाई था अपनी माता के मुख से ऐसी बातें सुनकर पांचों पांडव चौक गए और दुखी होने लगे। इसके बाद युधिस्टर ने विधि के अनुसार कण का भी अंतिम संस्कार किया।

कुछ पल रुककर युधिष्ठिर अपनी माता कुंती से बोले कि यह बात तो आप हमेशा से जानती होंगी कि सूर्य पुत्र कण हमारे बड़े भाई थे तब आपने हम लोगों को इतनी बड़ी बात क्यों नहीं बताई आपके चुप रहने की वजह से हम सभी को अपने ही भाई का हत्यारा बना दिया।

इसलिए मैं आज इस युद्ध भूमि में सभी दिशाओं आकाश और धरती को साक्षी मानकर सभी महिला जाति को यह श्राप देता हूं कि आज के बाद कोई भी महिला अपने अंदर कोई भी रहस्य नहीं छिपा पाएगी मित्रों यह श्राप आज कलयुग में भी औरतें झेल रही हैं। और व कोई भी बात अपने अंदर छिपा कर नहीं रख पाती।

यमराज को माण्डव्य ऋषि ने क्या श्राप दिया था?

मांडव ऋषि ने यमराज को दिया था श्राप, महाभारत के इतिहास की माने तो एक बार राजा ने गलती से न्याय में चूक कर दी थी उन्होंने अपने सैनिकों को ऋषि मांडव को सूली पर चढ़ा दिया था।

राजा ने देखा कि लंबे समय तक लटके रहने के बाद भी ऋषि मांडव की मौत नहीं हुई है तो राजा को अपनी भूल का एहसास हुआ उन्होंने ऋषि मांडवे को सूली से उतरवा या और अपनी गलती के लिए उनसे माफी मांगी इसके बाद ऋषि मांडव यमराज से मिलने गए ऋषि ने यमराज से पूछा कि किस वजह से उन्हें झूठे आरोप में सजा मिली है।

तब यमराज ने ऋषि से बोला कि जब आप 12 साल के थे तब आपने एक छोटे से कीड़े के पूछ में सीख चुबाई थी जिस वजह से आपको यह सजा भुगतनी पड़ी यह सुनकर ऋषि को गुस्सा आ गया उन्होंने यमराज से कहा कि किसी को भी 12 साल की उम्र में धर्म और अधर्म का मतलब पता नहीं होता।

तुमने एक छोटी सी गलती के लिए मुझे इतना बड़ा दंड दिया है मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि तुम शूद्र योनि में दासी के बेटे के रूप में जन्म लोगे मान्यव ऋषि के इस श्राप की वजह से यमराज को विदुर के रूप में जन्म लेना पड़ा था

उर्वशी ने अर्जुन को क्या श्राप दिया था?

उर्वशी ने अर्जुन को दिया था श्राप, कुंती पुत्र अर्जुन को अप्सरा उर्वशी ने दिया था यह उस समय की बात है जब पांडव वनवास पर थे और उन्हें वेदव्यास जी ने अपना राज्य फिर से पाने के लिए उपाय बताते हुए दिव्या अस्त्रों की जरूरतों के बारे में बताया जिसके बाद अर्जुन दिव्यास्त्र की शिक्षा पाने स्वग चले गए।

स्वर्ग लोक में अर्जुन के रूप को देखकर अप्सरा उर्वशी उनके रूप और सुंदरता को देखकर उन पर मोहित हो गई फिर उर्वशी ने अर्जुन के सामने शादी का प्रस्ताव रखा जवाब में अर्जुन ने कहा मैं आपको माता की तरह मानता हूं इसलिए आपसे शादी नहीं कर सकता।

इस बात पर उर्वशी गुस्सा हो गई और उन्होंने अर्जुन को यह श्राप दिया कि तुम नपुंसक की तरह बात कर रहे हो इसलिए तुम आजीवन नपुंसक हो जाओगे और स्त्रियों के बीच उन्हें नर्तकी बनकर रहना पड़े यह बात सुनकर मित्रों अर्जुन परेशान हो गए।

वह देवराज इंद्र के पास गए और उन्हें सारी बातें बताई उसके बाद इंद्र देव के कहने पर उर्वशी ने अपने श्राव की अवधि एक साल के लिए तय कर दी तब देवराज ने अर्जुन को सांत्वना देते हुए यह कहा कि तुम्हें घबराने की जरूरत नहीं है

यह श्राप तुम्हारे वनवास के समय वरदान के रूप में काम करेगा और तभी अज्ञात वास के समय तुम नृति के वेश में कौरवों के नजरों से बचे रहोगे

तो ये थे वो पांच श्राप जो महाभारत काल में दिए गए थे आपको ये जानकारी कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताए

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