क्या भगवान श्री कृष्ण सच में थे?
चलिए जान लेते है की क्या भगवान श्री कृष्ण सच में थे या नहीं
भगवान कृष्ण, जिन्हें विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है, उनका जन्म द्वापर युग में हुआ था। उनके अवतार का मुख्य उद्देश्य धरती को अधर्म और राक्षसों के अत्याचार से मुक्त कराना था⁷। उनके जन्म की कथा अत्यंत रोचक और प्रेरणादायक है।
द्वापर युग में, मथुरा के राजा उग्रसेन के आततायी पुत्र कंस ने अपने पिता को गद्दी से उतार दिया और स्वयं राजा बन बैठा। कंस की बहन देवकी का विवाह वसुदेव से हुआ था। एक दिन, देवकी को उसकी ससुराल पहुंचाने के दौरान कंस को आकाशवाणी से पता चला कि देवकी के आठवें पुत्र से उसका विनाश होगा। इससे भयभीत होकर कंस ने देवकी और वसुदेव को कारागार में डाल दिया और उनके सभी संतानों को मारने का निश्चय किया। देवकी के पहले सात संतानों को कंस ने मार डाला, लेकिन आठवें पुत्र, जो कृष्ण थे, का जन्म होते ही चमत्कारिक रूप से वसुदेव उन्हें गोकुल में नंद और यशोदा के पास ले गए और वहां से एक कन्या को लाकर कंस को सौंप दिया।
कृष्ण का बचपन गोकुल में बीता, जहां उन्होंने अनेक लीलाएँ कीं। उन्होंने न केवल गोकुलवासियों को विभिन्न राक्षसों से बचाया, बल्कि उन्होंने युवावस्था में मथुरा लौटकर कंस का वध किया और धर्म की स्थापना की। कृष्ण ने अपने जीवन में अनेक युद्धों में भाग लिया और महाभारत के युद्ध में तो उन्होंने अर्जुन के सारथी के रूप में गीता का उपदेश दिया, जो कर्म और धर्म के महत्व को बताता है।
कृष्ण के जीवन की शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं। उनका संदेश है कि हमें सदैव धर्म का पालन करना चाहिए और अधर्म के खिलाफ खड़े होना चाहिए। उनका जीवन हमें यह भी सिखाता है कि प्रेम और सच्चाई की शक्ति सबसे बड़ी होती है और यही अंततः विजयी होती है। कृष्ण का अवतार यह दर्शाता है कि जब भी धरती पर अधर्म बढ़ता है, तो धर्म की रक्षा के लिए दिव्य शक्ति अवतरित होती है।
हमें उम्मीद है इस आर्टिकल को पड़ने के बाद अब आप ये जान गए होंगे की क्या भगवान श्री कृष्ण सच में थे या नहीं